The Basic Principles Of Shiv chaisa
The Basic Principles Of Shiv chaisa
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सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
शिव चालीसा भगवान भोलेशंकर को समर्पित है। इस शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से महादेव आशीर्वाद प्रदान करते है और आपके जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करते है।
The mother hen Maina desires his passion, His left aspect adorns an enchanting sort. He retains a trident in his hand, a image of electrical power, Constantly destroying the enemies.
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप Shiv chaisa मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
कर त्रिशूल सोहत छवि Shiv chaisa भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।